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डेंगू भूखार – लक्षण, कारण, उपचार और रोकथाम

By Amit Nehra

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Image by Piyapong Saydaung from Pixabay
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Dengue fever in Hindi: डेंगू बुखार एक गंभीर और तेजी से फैलने वाली बीमारी है जो डेंगू वायरस से संक्रमित मच्छरों के काटने से होता हैं। यह वायरस एडिस एजिप्टी मच्छर (Aedes aegypti mosquitos) के काटने से फैलता हैं। आमतौर पर डेंगू के लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। लेकिन डेंगू बुखार डेंगू रक्त स्त्रावी बुखार में बदल जाता हैं तो यह खतरनाक हो सकता हैं। आमतौर पर इस वरायस के मच्छर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। इस वायरस के चार अलग-अलग लेकिन निकट संबंधित सीरोटाइप्स होते हैं (DEN-1, DEN-2, DEN-3, और DEN-4)। यह फ्लेवीवायरिडी (Flaviviridae) परिवार का हिस्सा होता हैं। यह वायरस हमारे शरीर रकतमांश में संक्रमित मच्छर के काटने से प्रवेश करता हैं। इस ब्लॉग पोस्ट में हम डेंगू के लक्षणों (dengue ke lakshan in hindi), रोकथाम और उपचार के बारे में विस्तार से जानेंगे।

डेंगू बुखार कैसे फैलता हैं? (Dengue bukhar keise felta hain?)

डेंगू बुखार का मूल कारण: वायरस

डेंगू बुखार (dengue fever) का मुख्य कारण डेंगू वायरस है, जो फ्लैविवायरस परिवार का हिस्सा है। जब कोई मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह मच्छर वायरस से संक्रमित हो जाता है। इसके बाद जब वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो वह व्यक्ति भी इस वायरस से संक्रमित हो जाता है।

जब मच्छर डेंगू से संक्रमक हो जाता हैं तो वह अपने पूरे जीवन इस वायरस को फैला सकता हैं।

मच्छरों का योगदान

डेंगू फैलाने वाले मुख्य मच्छर एडीज एजिप्टी (Aedes aegypti) और एडीज एल्बोपिक्टस (Aedes albopictus) हैं। ये मच्छर सामान्यतः दिन में काटते हैं, खासकर सुबह और शाम के समय। इनके पनपने के लिए साफ और स्थिर पानी की आवश्यकता होती है, जैसे कि:

  1. खुले पानी के कंटेनर: बाल्टी, फूलदान, टायर आदि।
  2. पानी की टंकी: अगर उन्हें ठीक से ढका न जाए।
  3. गमले के नीचे की प्लेटें: जहाँ पानी जमा हो सकता है।
  4. कूलर: जिन्हें नियमित रूप से साफ नहीं किया जाता।

पर्यावरणीय कारक

मौसम और पर्यावरण भी डेंगू फैलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं:

  1. मानसून का मौसम: बारिश के बाद जमा हुए पानी में मच्छरों के प्रजनन की संभावना बढ़ जाती है।
  2. उष्णकटिबंधीय जलवायु: गर्म और आर्द्र मौसम मच्छरों के लिए आदर्श होता है।

माँ से संक्रमण (Maternal transmission)

गर्भवती महिलाओं (Dengue Infection in Pregnant Women) में डेंगू संक्रमण न केवल मां बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी जोखिम भरा हो सकता है। अगर गर्भावस्था के दौरान मां को डेंगू हो जाता है, तो वायरस प्लेसेंटा के माध्यम से बच्चे तक पहुँच सकता है। प्लेसेंटा वह संरचना है जो गर्भवती महिला और उसके भ्रूण के बीच पोषक तत्वों और ऑक्सीजन का आदान-प्रदान करती है।

कुछ मामलों में, अगर मां को प्रसव के समय डेंगू होता है, तो शिशु को जन्म के तुरंत बाद वायरस का संक्रमण हो सकता है। यह संक्रमण शिशु के लिए गंभीर हो सकता है, क्योंकि नवजात शिशुओं की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है और वे डेंगू वायरस के प्रभाव को संभालने में सक्षम नहीं होते हैं।

मातृ संक्रमण के कारण जन्म लेने वाले बच्चों में कई प्रकार की समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि जन्म के समय कम वजन, समय से पहले जन्म, और शिशु में डेंगू के लक्षण जैसे बुखार, रैश, और ब्लीडिंग की समस्याएं। कुछ गंभीर मामलों में, यह संक्रमण नवजात शिशु के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।

अगर गर्भवती महिला को डेंगू संक्रमण हो जाता है, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए। डॉक्टर द्वारा गर्भवती महिला और शिशु की नियमित जांच और देखभाल आवश्यक है ताकि संक्रमण के संभावित खतरों को कम किया जा सके।

डेंगू के लक्षण: पहचानें और सतर्क रहें (Symptoms of Dengue)

डेंगू के प्रमुख लक्षण (Dengue ke pramukh lakshan)

डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue) आमतौर पर मच्छर के काटने के 4 से 10 दिन बाद प्रकट होते हैं। इनमें शामिल हैं:

  1. अचानक तेज बुखार, जो 104°F (40°C) तक हो सकता है।
  2. सिर के सामने वाले हिस्से में दर्द होना आम है।
  3. आंखों को हिलाने पर या दबाव देने पर दर्द महसूस होना।
  4. शरीर में भयानक दर्द, जिसे “ब्रेकबोन फीवर” भी कहा जाता है।
  5. बुखार शुरू होने के 2-5 दिन बाद त्वचा पर लाल धब्बे या चकत्ते दिखाई दे सकते हैं।
  6. अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना।
  7. जी मिचलाना और उल्टी आना, भूख कम लगना।
  8. नाक से खून आना, मसूड़ों से खून आना, या त्वचा पर छोटे-छोटे लाल धब्बे (पेटेचिया)।

गंभीर डेंगू (डेंगू हेमोरेजिक फीवर) के लक्षण

कुछ मामलों में, डेंगू गंभीर रूप धारण कर सकता है, जिसे डेंगू हेमोरेजिक फीवर या डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है। इसके लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. पेट में तेज दर्द और लगातार दर्द रहना।
  2. बार-बार उल्टी होना।
  3. सांस लेने में तकलीफ या तेजी से सांस लेना।
  4. त्वचा का रंग नीला या ठंडा पड़ना।
  5. नाक, मुंह, मसूड़ों या त्वचा पर गहरे नीले धब्बे, जो रक्तस्राव का संकेत हो सकते हैं।

क्या करें?

यदि आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को उपरोक्त लक्षणों में से कोई भी अनुभव हो, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लें। समय पर पहचान और उपचार से डेंगू के गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है।

डेंगू की रोकथामकैसे करें? (Dengue ki roktham keise karen?)

डेंगू की रोकथाम के लिए मच्छरों के काटने से बचना और मच्छरों के प्रजनन स्थलों को समाप्त करना महत्वपूर्ण है। डेंगू से बचाव के लिए यहां कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं:

  1. खड़े पानी को समाप्त करें: उन कंटेनरों को नियमित रूप से खाली और साफ करें जिनमें पानी जमा होता है, जैसे फूलदान, बाल्टियाँ, पक्षियों के स्नान के स्थान, और पालतू जानवरों के पानी के कटोरे। सुनिश्चित करें कि टायर, गटर, या आपके घर के आसपास किसी अन्य स्थान पर पानी जमा न हो।
  2. मच्छर निवारक का उपयोग करें: खुले त्वचा और कपड़ों पर मच्छर निवारक लगाएं। DEET, पिकारिडिन, या नींबू नीलगिरी के तेल वाले उत्पादों का उपयोग करें।
  3. सुरक्षात्मक कपड़े पहनें: लंबी आस्तीन की शर्ट, लंबी पैंट, मोजे और जूते पहनें, विशेष रूप से सुबह और देर शाम के समय जब मच्छरों के काटने का समय होता है।
  4. मच्छरदानी का उपयोग करें: मच्छरदानी के नीचे सोएं, खासकर यदि आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां डेंगू का प्रचलन अधिक है। सुनिश्चित करें कि खिड़कियाँ और दरवाजे स्क्रीन से ढंके हों ताकि मच्छर अंदर न आ सकें।
  5. स्क्रीन स्थापित करें: खिड़कियों और दरवाजों पर स्क्रीन का उपयोग करें ताकि मच्छर आपके घर में न आ सकें। स्क्रीन में किसी भी छेद या टूट-फूट की मरम्मत करें।
  6. मच्छर जाल का उपयोग करें: अपने घर के आसपास मच्छरों की संख्या को कम करने के लिए मच्छर जाल या कीटनाशकों का उपयोग करें।
  7. स्वच्छ परिवेश बनाए रखें: अपने परिवेश को स्वच्छ रखें और कचरे को सही तरीके से निपटाएं। सुनिश्चित करें कि कोई भी स्थान जहां पानी जमा हो सकता है, वहां पानी न रुके।
  8. सामुदायिक प्रयास: मच्छरों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के सामुदायिक प्रयासों में भाग लें, जैसे फ्यूमिगेशन और जन जागरूकता अभियान।

इन रोकथाम उपायों का पालन करके, आप अपने और अपने समुदाय के लिए डेंगू संक्रमण के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकते हैं।

डेंगू का उपचारक्या हैं? (Dengue ka upachaar kya hain?)

डेंगू का कोई विशेष एंटीवायरल उपचार नहीं है। इसके उपचार का मुख्य उद्देश्य लक्षणों को प्रबंधित करना और जटिलताओं को रोकना है:

  1. आराम करें: जितना हो सके आराम करें।
  2. तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं: शरीर में पानी की कमी न होने दें। आप ज्यादा से ज्यादा पानी, नारियल पानी जरूर पिए। यह आपको हाइड्रेट होने से बचाता हैं।
  3. सहायक देखभाल : डेंगू बुखार में उल्टी, दस्त भी लग सकते हैं। इन से बचाने के लिए उचित द्रव संतुलन बनाए रखना जरूरी हैं।
  4. चिकित्सक से परामर्श: यदि लक्षण गंभीर हो जाएं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अस्पताल में भर्ती की आवश्यकता हो सकती है।

डेंगू एक गंभीर बीमारी हो सकती है, लेकिन उचित जानकारी और सावधानियों के साथ इसे रोका और प्रबंधित किया जा सकता है। मच्छरों से बचाव, स्वच्छता और समय पर चिकित्सा देखभाल के माध्यम से हम डेंगू के खतरे को कम कर सकते हैं।

डेंगू बुखार के फैलने के मुख्य कारणों को समझना महत्वपूर्ण है ताकि हम इससे बचाव कर सकें। साफ-सफाई बनाए रखना, पानी जमा न होने देना, और मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाना, जैसे मच्छरदानी का उपयोग और मच्छर निरोधक क्रीम का प्रयोग, डेंगू बुखार से बचने के महत्वपूर्ण कदम हैं।

सावधानी और जागरूकता के माध्यम से ही हम इस खतरनाक बीमारी से खुद को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं। ध्यान रखें कि डेंगू से बचाव में आपकी सक्रिय भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। स्वस्थ रहें और सतर्क रहें!

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