अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम् (Durga Vedoktam Ratri Suktam Stotram)

ऋग्वेद से लिया गया "अथ वेदोक्तं रात्रिसूक्तम्" देवी रात्रि की महिमा का वर्णन करता है। यह वैदिक मंत्र रात्रि की शक्ति, शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा को समर्पित है।

ॐ रात्रीत्याद्यष्टर्चस्य सूक्तस्यकुशिकः सौभरो रात्रिर्वा भारद्वाजो ऋषिः, रात्रिर्देवता,गायत्री छन्दः, देवीमाहात्म्यपाठे विनियोगः।

ॐ रात्री व्यख्यदायती पुरुत्रा देव्यक्षभिः।
विश्वा अधि श्रियोऽधित॥

ओर्वप्रा अमर्त्यानिवतो देव्युद्वतः।
ज्योतिषा बाधते तमः॥

निरु स्वसारमस्कृतोषसं देव्यायती।
अपेदु हासते तमः॥

सा नो अद्य यस्या वयं नि ते यामन्नविक्ष्महि।
वृक्षे न वसतिं वयः॥

नि ग्रामासो अविक्षत नि पद्वन्तो नि पक्षिणः।
नि श्येनासश्चिदर्थिनः॥

यावया वृक्यं वृकं यवय स्तेनमूर्म्ये।
अथा नः सुतरा भव॥

उप मा पेपिशत्तमः कृष्णं व्यक्तमस्थित।
उष ऋणेव यातय॥

उप ते गा इवाकरं वृणीष्व दुहितर्दिवः।
रात्रि स्तोमं न जिग्युषे॥

॥ इति ऋग्वेदोक्तं रात्रिसूक्तं समाप्तं। ॥